Proud feel करो.
किसलिए?
किसलिए पूछते हो? मूर्ख, देश के लिए, और किसके लिए?
महात्मा गाँधी के लिए?
नहीं, वो तो मुसलमानो का चमचा था.
टैगोर?
अंग्रेजों का पिठलग्गु था वो…
नेहरू?
उसी के तो कीड़े हैं ये सब.
इंदिरा गाँधी?
पगला गए हो क्या? Emergency क्या होती है जानते हो? वही लायी थी.
तो फिर राजीव गाँधी?
यार उस दुष्ट का नाम मत लो… खुद मर गया, अपने नालायक बेटे को छोड़ गया. अरे गड़े मुर्दे उखाड़ना बस भी करो.
अच्छा केजरीवाल?
अब उस हरामी की बात मत करो.
मायावती?
हा हा… उसकी शक्ल देखी है? ना शक्ल अच्छी ना काम अच्छे.
अच्छा politics छोडो. Bollywood? सलमान, शाहरुख़, आमिर – इनके लिए तो proud हो सकता है ना?
तुम जैसे गधों के चक्कर में ये मुल्ले ही राज कर रहे हैं. देखना एक दिन इनकी population इतनी हो जाएगी कि हम सबको काट देंगे ये.
और लेखक वर्ग?
वो झोला छाप गैंग? उनको तो पाकिस्तान भेज देना चाहिए. Intolerance-intolerance करते रहते हैं रात दिन.
Businessmen के लिए हो proud सकते हैं?
भैया ऐसा है, टाटा जी की ज़ुबान आजकल ज़्यादा चल रही है. सहारा वालों को जेल का सहारा है. और अम्बानी अडानी का तो आपको पता ही है.
और वो झुग्गियों वाले?
हैं? उनके लिए कैसा proud? उनके चक्कर में ही तो GDP down हो रखी है.
फिर कौन बचा यार? किसान?
ये बात की न तुमने… किसानों के लिए proud feel करो.
पर किसान तो मर रहे हैं.
फिर छोडो यार उनको भी…
खुद के लिए हो सकता हूँ?
अरे तुम्हे तबसे क्या भाषण दे रहा हूँ? खुद के लिए नहीं, देश के लिए proud feel करो.
देश में क्या आता है? ये कूड़े से भरी धरती? ये दूषित नदियां? ये हानिकारक हवा?
तुम कहाँ की बात पता नहीं कहाँ ले जाते हो…
फिर तो बस एक साहेब बचे और हमारी सेना.
अब आये हो मियां लाइन पे.
पर एक राजा और एक सेना तो तानाशाही जैसा सुनाई पड़ता है.
माफ़ करना दोस्त, पर तुमने मेरे सब्र का इम्तेहान ले लिया. देश के लिए तुम्हारा मरना ज़रूरी है. वरना ये गन्दगी नहीं मिटेगी.
क्या?
भारत माता की जय!
Sunayi padne me, aur hone mein farq hota hia na janaab?!
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