मैं एक पौधा हूँ

मैं एक पौधा हूँ… मैं वृक्ष नहीं हूँ, प्रज्ञ हूँ, लगभग अदृश्य भी, किन्तु विशालकाय यक्ष नहीं हूँ. मैं तो सूक्ष्म हूँ, निर्बल हूँ, चंचल हूँ. हवा के तेज़ झोंको से, कंपकपाता हर पल हूँ. कितने प्राणी, कितनी लालसा, मैं तो सबसे डरता हूँ. भान है यथार्थ का, तभी तो निवेदन करता हूँ. न मैंContinue reading “मैं एक पौधा हूँ”