देशभक्त बनो बुड़बक

  Proud feel करो.   किसलिए?   किसलिए पूछते हो? मूर्ख, देश के लिए, और किसके लिए?   महात्मा गाँधी के लिए?   नहीं, वो तो मुसलमानो का चमचा था.   टैगोर?   अंग्रेजों का पिठलग्गु था वो…   नेहरू?   उसी के तो कीड़े हैं ये सब.   इंदिरा गाँधी?   पगला गए होContinue reading “देशभक्त बनो बुड़बक”

मेरा क्या है?

तंग रास्तों में भटकते हुए, अकस्मात् एक ख़याल आया। मंज़िल तो कभी देखी न थी, रास्ता भी अब खो न जाए कहीं। ये फुटपाथ गरीबों का, और ये सड़क अमीरों की, मेरा क्या है? कुछ भी तो नहीं… मेरे हिस्से में आये हुए, दुःख भी हैं और दर्द भी। सोचा अपनों से परे, क्या पता,Continue reading “मेरा क्या है?”